लड़ाई वजूद की
लड़ाई अस्तित्व की
लाख गिराओं , मैं ना झुकूंगा ,
लड़ाई है वजूद की , तो में लड़ूंगा I
गिरूंगा ,संभलूंगा , फिर चल पड़ूंगा ,
मैं राही मन्जिल का , कभी ना रूकूंगा I
हरूफ हूँ किताबों का , बस इतना कहूंगा ,
चूप रह के सारी, इबारतें लिखूंगा ।
किसी के डर से , ना मैं डरूंगा,
बात हक की , हक से कहूंगा ।
जिंदा हूँ तो जिंदा दिल रहूंगा ,
हर ग़म को हंस - हंस के सहूंगा |
# दैनिक प्रतियोगिता के लिए
-------- गौतम वशिष्ठ
9636637075
shweta soni
31-Aug-2022 11:56 AM
Behtarin rachana
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
26-Aug-2022 08:37 AM
वाह लाजवाब लाजवाब लाजवाब बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति है, ,,,,, गिराओं को गिराओ,,,, और, तो में लडूँगा वाली लाइन में,,,, तो मैं कर दीजिए sir
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Raziya bano
25-Aug-2022 10:42 PM
Bahut sundar rachna
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